आओ कि ज़िन्दगी को बेहतर ज़रा बनाएं
सब रंजिशे मिटा कर सबको गले लगाएं
सब रंजिशे मिटा कर सबको गले लगाएं
हैं चार दिन का जीना क्यों ना जिए ख़ुशी से
मिल जुल के क्यों ना ऐसा प्यारा जहाँ बसाएं
मिल जुल के क्यों ना ऐसा प्यारा जहाँ बसाएं
वो सब गिले वो शिकवे तुमको रहे किसी से
आओ कि फिर से मिलके हम उनको भूल जाएं
आओ कि फिर से मिलके हम उनको भूल जाएं
दुनिया में क्या रखा है, यारो सिवा वफ़ा के
हर दुश्मनी मिटा के सबको वफ़ा सिखाएं
फूलों के जैसी खुशबू , इंसानियत में महके
हम आये हैं जहां में कुछ करके भी दिखाएं
करना हैं इस जहां में तो कुछ ऐसा काम करलें
दुनिया में लोग तुझको "सिया" भूल ही न पायें
सिया
फूलों के जैसी खुशबू , इंसानियत में महके
ReplyDeleteहम आये हैं जहां में कुछ करके भी दिखाएं..
Beautiful Lines.. n too deep as well.
beautiful write.
very nice.
:)