वो घर में रह के भी दुनिया संभाल सकती है
हर एक ज़र्रे को सोने में ढाल सकती है
वो नेकियों की जो देगी मिसाल बच्चों को
तो हर बुराई से उनको निकाल सकती है
वो एक माँ है जो बच्चों के वास्ते अपने
ख़ुद अपनी जान भी जोखिम में डाल सकती है.
बुरी नज़र से जो देखेगा उसको बच्चों को
तो उस दरिन्दे की आँखे निकाल सकती है
जो अपने हिस्से की रोटी खिला दे बच्चों को
वो मुफ़लिसी में भी बच्चों को पाल सकती है
हर एक ज़र्रे को सोने में ढाल सकती है
वो नेकियों की जो देगी मिसाल बच्चों को
तो हर बुराई से उनको निकाल सकती है
वो एक माँ है जो बच्चों के वास्ते अपने
ख़ुद अपनी जान भी जोखिम में डाल सकती है.
बुरी नज़र से जो देखेगा उसको बच्चों को
तो उस दरिन्दे की आँखे निकाल सकती है
जो अपने हिस्से की रोटी खिला दे बच्चों को
वो मुफ़लिसी में भी बच्चों को पाल सकती है
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