Friday, 20 February 2015

सुर्ख़ रंगत तेरी ज़र्द पड़ जायेगी

इतना रोने से सूरत बिगड़ जायेगी 
सुर्ख़ रंगत तेरी ज़र्द पड़ जायेगी 

तल्ख़ लहजे से जो तुमने गुफ़्तार की
साँस मेरी ये फिर से उखड जायेगी  

वक़्त ने तेरे चेहरे पे क्या लिख दिया 
आईना देख हैरत में पड़ जायेगी 

साथ अपनों का मिलता रहा जो उसे
 अपने हालात से भी वो लड़ जायेगी 

ये जो बुनियाद रिश्तों की है खोखली 
कच्चे बखिये की जैसी उधड़ जायेगी 

मुड़ के फिर न पलट करके देखेगी वो 
ज़िद्द पे जो एक दिन अपनी अड़ जायेगी 

तुझसे जिस दिन बिछड़ जायेगी ये सिया 
उस घडी तेरी दुनिया उजड़ जायेगी 

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