Friday 30 January 2015

जाम अश्कों से भर नहीं लेते

इतना दिल पे असर नहीं लेते
जाम अश्कों से  भर नहीं लेते

जिसकी आब ओ हवा हो अपनी सी
क्यों कहीं ऐसा घर नहीं लेते

बदगुमानी को पाल कर दिल में
दूर अपनों को कर नहीं लेते

फूल से खिल उठोगे दो पल में
थोड़ा तुम क्यूँ सँवर नहीं लेते

रेत तपती है पावं है नाज़ुक
आप मेरी ख़बर नहीं लेते

क्यों वो हंसती हुई इन आँखों का
दर्द  महसूस कर नहीं लेते

 खुद  नज़र मैं रहूँ  सिया कब तक
 सुध क्यूँ अहल ए नज़र  नहीं लेते

 सिया

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