Saturday 27 December 2014

आदमी क्यूं हो गया पत्थर बता

ऐ खुदाया ऐ मेरे परवर बता
आदमी क्यूं हो गया पत्थर बता

तू समंदर है मुझे ये इल्म है
मैं भी हूँ दरिया मुझे पीकर बता

हर तरफ ऊंची इमारत हैं फ़क़त
तू मुझे इंसान का इक घर बता

क्या अभी इंसान है मुझमें कोई
दिल को मेरे बस यही छूकर बता

लोग तो सब फ़ूल लेकर चल दिए
क्यूं मेरे हिस्से में हैं नश्तर बता.

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