जय वीणा पुस्तक धारिणी उपकार कर
दे ध्यान भक्ति ज्ञानपुँज अपार कर
जय विद्या ज्ञान प्रदायनी माँ शारदे
ये ज्ञान चक्षु खोल दे उद्धार कर
मन नेह और विश्वास के दीपक जले
जगतारिणी अब तूही बेडा पार कर
हम सत्य सयंम त्याग का जीवन चुने
हो प्रेम सबके मन में, नेक विचार कर
हम स्वाभिमानी बन के साहस से जिए
हे सरस्वती सुखमय मेरा संसार कर
इस कंठ से गीतों की यूँ सरिता बहे
वीणा से अपनी ऐसी तू झंकार कर
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