Saturday 23 November 2013

सरस्वती वंदना

जय वीणा पुस्तक धारिणी उपकार कर 
दे ध्यान भक्ति ज्ञानपुँज अपार कर  

जय विद्या ज्ञान प्रदायनी माँ शारदे 
ये ज्ञान चक्षु खोल दे उद्धार कर 

मन नेह और विश्वास के दीपक जले 
जगतारिणी अब तूही बेडा पार कर

हम सत्य सयंम त्याग का जीवन चुने 
हो प्रेम सबके मन में, नेक विचार कर 

हम  स्वाभिमानी बन के साहस से जिए 
हे सरस्वती  सुखमय मेरा  संसार कर 

इस कंठ से गीतों की यूँ सरिता बहे  
वीणा से अपनी ऐसी तू झंकार कर 



No comments:

Post a Comment