कब हमें उनकी इनायत चाहिए
सिर्फ थोड़ी सी मोहब्बत चाहिए
थोड़ा लहज़े में नज़ाकत चाहिए
और आँखों में शराफ़त चाहिए
ख्व़ाबगाहों से निकल आयें जनाब
ज़िंदगी में कुछ हकीक़त चाहिए
रब से ज़ायद मांगती कुछ भी नहीं
मुझको बस हस्बे ज़रूरत चाहिए
ज़िंदगी आसान होती जायेगी
रहमत ए आलम की रहमत चाहिए
आप ने सबको नसीहत की जनाब
आपको भी कुछ नसीहत चाहिए
इन बुजुर्गों से सदा हमको सिया
रहनुमाई और शफ़क़त चाहिए
इस ज़बां पर भी ज़रा काबू रहे
दिल में भी थोड़ी मुरव्वत चाहिए
शेर गोई है नहीं आसाँ सिया
इल्म की भी थोड़ी दौलत चाहिए
ऐ सिया क़दमों को मां के चूम लो
तुम को गर दुनिया में जन्नत चाहिए
सिर्फ थोड़ी सी मोहब्बत चाहिए
थोड़ा लहज़े में नज़ाकत चाहिए
और आँखों में शराफ़त चाहिए
ख्व़ाबगाहों से निकल आयें जनाब
ज़िंदगी में कुछ हकीक़त चाहिए
रब से ज़ायद मांगती कुछ भी नहीं
मुझको बस हस्बे ज़रूरत चाहिए
ज़िंदगी आसान होती जायेगी
रहमत ए आलम की रहमत चाहिए
आप ने सबको नसीहत की जनाब
आपको भी कुछ नसीहत चाहिए
इन बुजुर्गों से सदा हमको सिया
रहनुमाई और शफ़क़त चाहिए
इस ज़बां पर भी ज़रा काबू रहे
दिल में भी थोड़ी मुरव्वत चाहिए
शेर गोई है नहीं आसाँ सिया
इल्म की भी थोड़ी दौलत चाहिए
ऐ सिया क़दमों को मां के चूम लो
तुम को गर दुनिया में जन्नत चाहिए
सुंदर रचना |
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