आदमी आस से बे_आस नहीं हो सकता
भूख जिंदा हो तो उपवास नहीं हो सकता
जिसको पढने में गुज़र जाए हजारों सदियाँ
ज़िन्दगी जैसा उपन्यास नहीं हो सकता ..
दफ़न हो जिसमें मुक़द्दर के उजाले सारे
इतना काला मेरा इतिहास नहीं हो सकता
ऐसी तन्हाई मेरे मन में बसी है की जहाँ
कोई इंसान मेरे पास नहीं हो सकता
मुस्कराहट की रिदा ओढ़ ली मैंने ए दोस्त
मेरे दुःख का तुम्हें आभास नहीं हो सकता
इतने दुःख सह के भी हंसती है लगातार सिया
और दुनिया को ये एहसास नहीं हो सकता
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