कब तलक आखिर रहेगी बे -ज़ुबानी आपकी ,
अब तो हो जाए ख़ुदारा मेहरबानी आपकी
आपका तर्ज़ ए सुखन हम को न रास आया कभी
दिल जला देती है अक्सर हक बयानी आपकी
आपका एहसास ही तो जिस्म-ओ-जां और रूह है
क्या किसी ने की है ऐसी क़द्रदानी आपकी
इसलिए हरदम ही रहती हूँ नफासत के करीब,
जिंदगी को भी समझती हूँ निशानी आपकी .
ज़ख़्म जैसे बन गए हो आपबीती ए सिया
कर ही देते हैं बयां ये हर कहानी आपकी
अब तो हो जाए ख़ुदारा मेहरबानी आपकी
आपका तर्ज़ ए सुखन हम को न रास आया कभी
दिल जला देती है अक्सर हक बयानी आपकी
आपका एहसास ही तो जिस्म-ओ-जां और रूह है
क्या किसी ने की है ऐसी क़द्रदानी आपकी
इसलिए हरदम ही रहती हूँ नफासत के करीब,
जिंदगी को भी समझती हूँ निशानी आपकी .
ज़ख़्म जैसे बन गए हो आपबीती ए सिया
कर ही देते हैं बयां ये हर कहानी आपकी
very nice siya ji...
ReplyDeletevidya JI BAHUT BAHUT SHUKRIA AAPKA SALAMAT RAHE
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