जीवन-बगिया के माली तुम रूठ कंहा को चले गए |
बचपन बीता प्यार बिना ,तुम कौन जहाँ को चले गएमाँ की ममता मिली ना बाबुल का दुलार ही पायादर्द यहीं रह रह के दिल में उभर उभर के आया
दुःख सहने को दुनिया के तुम छोड़ ओ बाबुल चले गए
कोई अपने बच्चो को देता दुलार, देख हम तरसा कियेछुपा लिए आंसू वो हमने ,जो छुप छुप आंख से बहा कियेसर पर अपने कड़ी धूप हम बिन साए के फिरा कियेकौन यहाँ पर दर्द हमारा माँ बाबा सा समझा किये
स्याह अँधेरा दिल में मेरे,तुम दीप जलाने कहा गए
ओ माँ तेरे आँचल की ठंडी छावं को ढूढे ये मन मेरा
रात अमावस सी लगती हैं बिन तेरे सूना सा दिन
मुरझाये फूलो से हैं हम,बिन माली उजड़ा सा चमन
आज तेरी बेटी तनहा है, तेरी दुआ बिना खाली दामन
कर के सूना घर आंगन तुम छोड़ के तनहा चले गए
आह लबो से निकले क्यों रूठ गयी हमसे तकदीर
दिल में छुपाये रहते हैं.कौन सुनेगा मन अपने पीरनूर छिना चेहरे से , हरदम रहते हैआँखों में नीरयादे बाकि रह गयी, धुधली पड गयी हैं तस्वीर
बिन तेरा रीता जीवन तुम कौन देस को चले गए
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