आज उनका ख़त मुझे बेनाम आया
शाम आयेंगे फ़क़त पैग़ाम आया
पास आकर दिल की कोई बात कर
ये लिखा उसने तो कुछ आराम आया
आंसुओं से भीग कर तर ही हुआ
जिस वरक आपका इक नाम आया
आपकी ख़ुश्बू से वो लबरेज़ था
जब मेरे नज़दीक वो गुलफाम आया
डूब कर इस ज़िन्दगी को देखना
ये हुनर सच आज मेरे काम आया
है ज़हर उसमें मुझे मालूम सिया
बादे -मुद्दत हाथ में इक जाम आया
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