ग़म से दिल फट रहा है सीने में
क्या ज़माने का हाल है देखो
बेरहम कितना हो गया इंसा
ये ज़मीन ख़ू से लाल है देखो
इसके दिल में खुदा का खौफ नहीं
ना ही कोई मलाल है देखो
ये हैं इंसा या ये पत्थर है
शर्म है ना ख्याल है देखो
ज़ुल्म ढाता हैं बेगुनाहों पर
सबका जीना मुहाल है देखो
siya
क्या ज़माने का हाल है देखो
बेरहम कितना हो गया इंसा
ये ज़मीन ख़ू से लाल है देखो
इसके दिल में खुदा का खौफ नहीं
ना ही कोई मलाल है देखो
ये हैं इंसा या ये पत्थर है
शर्म है ना ख्याल है देखो
ज़ुल्म ढाता हैं बेगुनाहों पर
सबका जीना मुहाल है देखो
siya
सिया जी,
ReplyDelete"ये हैं इंसा या ये पत्थर है
शर्म है ना ख्याल है देखो "
बहुत सत्य पूर्ण, आदमी अब आदमी नहीं जानवर से भी बदतर है!
----------------------ऐसे ही लिखती रहिये!