Thursday 16 June 2011

जरा सी ठेस जो लगी तो चटक जायेगे

अब जो बिखरे तो फिर से ना सिमट पायेगे
हम ज़मीन के सभी रिश्तो से कट जायेगे

तू मुझसे आंख चुराए ना ये सह पायेगे
तू खुश रहे. हम तेरी राह से ही हट जायेगे

हमने पाई है नजाकत मिजाज़ _आइना सी
जरा सी ठेस जो लगी तो चटक जायेगे

हम इस गुमान में थे तू हैं संग हर सफ़र में
ये ना जानते थे तनहा राहो में भटक जायेगे

वक़्त कितना लगा था पास तेरे आने में
गुज़र जाएगी ये उम्र, तुझे भूल नहीं पायेगे

वफ़ा का वास्ता देकर मना लेंगे तो अच्छा हो
अना आई जो आड़े 'सिया ' जुदा फिर पायेगे

सिया

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