एक माँ की कहानी सुनो
उसकी अपनी जुबानी सुनो
बेटियां बोझ लगने लगीं
हो गईं जब सयानी सुनो
उसके दामन में कुछ भी नहीं
अश्क हैं बस निशानी सुनो
शादी होते ही बेटा अलग
रीत है इक पुरानी सुनो
बात बच्चों की माने सभी
कौन है माँ सा दानी सुनो
सिया
उसकी अपनी जुबानी सुनो
बेटियां बोझ लगने लगीं
हो गईं जब सयानी सुनो
उसके दामन में कुछ भी नहीं
अश्क हैं बस निशानी सुनो
शादी होते ही बेटा अलग
रीत है इक पुरानी सुनो
बात बच्चों की माने सभी
कौन है माँ सा दानी सुनो
सिया
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