Sunday 3 April 2011

तन्हा दिल


अपनों की हर बात ही आख़िर दिल को दुखाने आई है

और फिर उस पर तन्हाई भी दिल दहलाने आई है !!

रुसवा तो हम यार बहुत हैं, क्या बतलाएं दुनिया को
एक कहानी फिर से आख़िर कुछ दोहराने आई है !!

आप न आए वादा करके हम को थी तकलीफ़ यही
मौसम की सरगोशी शायद कुछ बतलाने आई है !!

दिल की हर दीवार में सीलन, आँखों में सैलाब सा है
इस रुत की ये बारिश रब्बा क्या समझाने आई है !!

आज हरेक महफ़िल में आख़िर उसकी बातें होती हैं
एक "सिया"रिश्तों को देखो ख़ुद सुलझाने आई है !!

सिया

2 comments:

  1. bahut khub siya..acha likhte hai aap..
    http://www.youtube.com/watch?v=11_dfgSh20c

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  2. loved it very much siya di muaaaaaaaaaaaaaaal
    tc

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