अपनों की हर बात ही आख़िर दिल को दुखाने आई है
और फिर उस पर तन्हाई भी दिल दहलाने आई है !!
रुसवा तो हम यार बहुत हैं, क्या बतलाएं दुनिया को
एक कहानी फिर से आख़िर कुछ दोहराने आई है !!
आप न आए वादा करके हम को थी तकलीफ़ यही
मौसम की सरगोशी शायद कुछ बतलाने आई है !!
दिल की हर दीवार में सीलन, आँखों में सैलाब सा है
इस रुत की ये बारिश रब्बा क्या समझाने आई है !!
आज हरेक महफ़िल में आख़िर उसकी बातें होती हैं
एक "सिया"रिश्तों को देखो ख़ुद सुलझाने आई है !!
सिया
bahut khub siya..acha likhte hai aap..
ReplyDeletehttp://www.youtube.com/watch?v=11_dfgSh20c
loved it very much siya di muaaaaaaaaaaaaaaal
ReplyDeletetc