यूँ नक्श अपना छोड़ के जायेंगे एक दिन
दुनिया को हम भी याद तो आयेंगे एक दिन
ऐसे चराग़ ए इल्म जलायेंगे एक दिन
सारी जेहालतों को मिटायेंगे एक दिन
गुम हो गयी हयात कहाँ हमको क्या खबर
फिर भी कहीं से ढूंढ़ के लायेंगे एक दिन
उनको मलाल होगा कभी अपनी सोच पर
वहम ओ गुमाँ की पर्त हटायेंगे एक दिन
सूने से घर में लौट के आएँगी रौनक़ें
बच्चे जो मेरे लौट के आएँगे एक दिन
सच बोलने की ज़िद्द ही हमारा मिज़ाज है
झूठे का सर ज़मीं पे झुकाएँगे एक दिन
इंसानियत के दर्द का जो कर सके इलाज
हम ज़ख्म ए दिल उसी को दिखायेंगे एक दिन
रब ने अता किया है हमें शायरी का फ़न
पहचान अपनी खुद ही बनायेंगे एक दिन
yun naksh apna chhod ke jayenge ek din
duniya ko hum bhi yaad to aayege ek din
Aise charagh e ilm jalaayeNge ek din
Sari jehalato'n ko mitayeNge ek din
Unko malaal hoga kabhi apni soch par
Wahm-o-gumaaN ki part hatayeNge ek din
sune se ghar mein laut ke aayengi raunqe'N
bache jo mere laut ke aayenge ek din
Sach bolne ki zidd hi hamara Mezaj hai
JhooThe ka sar zamiN pe jhukayeNge ek din
Gum ho gayi hayaat kahan humko kya khbar
Phir bhi kaheen se dhuNdh ke laayenge ek din
Insaniyat ke dard ka jo kar sake ilaaj
Ham zaKhm-e-dil usi ko dikhayeNge ek din
Rab ne ata kiya hai hameN shayari ka fan
Pahchan apni khud hi banaayeNge ek din
सुंदर ग़ज़ल
ReplyDeleteआप फॉण्ट बड़ा करे और उसका रंग पृष्ठभूमि के रंग से विपरीत रखे पढने में आसानी होगी !
ReplyDeleteNew post मोदी सरकार की प्रथामिकता क्या है ?
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