मिले लम्हे जो फ़ुरसत के मुझे तब याद कर लेना
तुझे गर वक़्त मिल जाये, ज़रा बर्बाद कर लेना
बिछड़ जाने से पहले की निशानी लग रही है ये
तुम अपने दिल को अब आख़िर कहीं आबाद कर लेना
नहीं जीना तुम्हारे बिन, तुम्हारे बिन नहीं जीना
फ़ना हो जाये बस ये दिल यही फ़रियाद कर लेना
निकलना है, निकलते हैं, चले जाते हैं दुनिया से
हमारी कैद से ख़ुद को अभी आज़ाद कर लेना
तुम्हारी हो गई आदत, नहीं कटते सिया ये दिन
तुम अपने वास्ते कुछ भी नया ईजाद कर लेना
तुझे गर वक़्त मिल जाये, ज़रा बर्बाद कर लेना
बिछड़ जाने से पहले की निशानी लग रही है ये
तुम अपने दिल को अब आख़िर कहीं आबाद कर लेना
नहीं जीना तुम्हारे बिन, तुम्हारे बिन नहीं जीना
फ़ना हो जाये बस ये दिल यही फ़रियाद कर लेना
निकलना है, निकलते हैं, चले जाते हैं दुनिया से
हमारी कैद से ख़ुद को अभी आज़ाद कर लेना
तुम्हारी हो गई आदत, नहीं कटते सिया ये दिन
तुम अपने वास्ते कुछ भी नया ईजाद कर लेना
सिया जी, बहुत खुबसूरत रचना आपकी!
ReplyDelete"नहीं जीना तुम्हारे बिन, तुम्हारे बिन नहीं जीना
फ़ना हो जाये बस ये दिल यही फ़रियाद कर लेना"
"आपकी हर रचना शानदार होती है! ऐसे ही लिखती रहिये!