ज़िन्दगी का हर सफ़र कट जायेगा
आदमी का क्या है वो बंट जायेगा
सच के दर्शन आपको हो जायेंगे
ये धुंधलका बस अभी छंट जायेगा
फिर कहानी एक लिखेंगे ज़रूर
नाम उसका जब हमें रट जायेगा
कम से कम कुछ दर्द तो मिट जायेंगे
हाँ वो इक पन्ना ही तो फट जायेगा
वो तो है आशिक़ किशन का रूप है
या तो दरिया या तो पनघट जायेगा.
siya...
कविता और गज़ल की समझ नहीं है...इसलिए पता नहीं कि क्या कमेन्ट करूँ...लेकिन आपकी रचना का भाव ज़रूर पसंद आया
ReplyDeletebahut bahut shukriya rajiv ji...
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