मेरे यार मुझको तू हंसना सिखा दे
घटाओं को खुल के बरसना सिखा दे
कोई भटकती हुई रूह हूँ मैं
मुझे अपनी आँखों में बसना सिखा दे
नई हूँ मुहब्बत की राहों में आख़िर
मुझे हिज्र में अब तरसना सिखा दे
सुना है की ज़ुल्फों में जादू बड़ा है
ज़रा मुझको ज़ुल्फों से डसना सिखा दे
बड़ी कोशिशें हैं मुहब्बत को सीखूं
"सिया" को अब का बरस ना सिखा दे
सिया सचदेव
"नई हूँ मुहब्बत की राहों में आख़िर
ReplyDeleteमुझे हिज्र में अब तरसना सिखा दे
सुना है की ज़ुल्फों में जादू बड़ा है
ज़रा मुझको ज़ुल्फों से डसना सिखा दे"
बहुत बढ़िया