Thursday 22 March 2018

स्वछता का अभियान

अपने  स्वच्छ विचार करो 
देश का बेडा पार करो 

साफ़ सफाई रक्खो हमेशा 
हर रास्ता हमवार करो 

तुमसे सीखें लोग स्वछता 
अपना यूँ व्यवहार करो 

वातावरण को स्वच्छ बनाकर 
अपना ख़ुद उपचार करो 

स्वछता का अभियान चलकर 
उज्जवल ये संसार करो 

देश का नाम हो सबसे ऊँचा 
ये सपना साकार करो 

रिश्ते निभा के देखें कभी ज़िन्दगी के साथ

रिश्ते निभा के देखें कभी ज़िन्दगी के साथ
कब तक जियेंगे आप इसी बेहिसी के साथ
उलझा दिया था इतना ग़मे रोज़गार ने
वो जब कभी मिले तो मिले बेबसी के साथ
हर बात मेरी जिसको गुज़रती है नागवार
ये ज़िन्दगी बितानी है मुझको उसी के साथ
आज़ाद कर रहें हैं तुम्हे अपनी क़ैद से
तुमको जहाँ भी जाना है जाओ ख़ुशी के साथ
हम अपने आप में ही भला क्यों रहें न गुम
अपना मिज़ाज मिलता नहीं हर किसी के साथ
कह दो ये दुश्मनों से मेरे मर गयी सिया
अफ़वाह ये उड़ा दो ज़रा सनसनी के साथ
siya sachdev

किस से करूँ शिकायतें किस का गिला करूँ।

किस से करूँ शिकायतें किस का गिला करूँ।
अपने ही जब हो जान के दुश्मन तो क्या करूँ।
दुनिया की क्या मजाल थी कुछ कह सके मुझे
अपने. ही जब ख़िलाफ़ हो तो फिर मैं क्या करूँ
ये आरज़ा तो जान के ही साथ जाएगा
ए ज़िंदगी बता मैं कहाँ तक दवा करूँ
तनक़ीद क्या करूँ मैं किसी और शख़्स की
बेहतर है अपनी ज़ात पर ख़ुद तब्सरा करूँ
जिसको मेरी उदासियाँ लगती हैं नागवार
मैं उसके सामने न हँसू गर तो क्या करूँ
आबाद जिसके दम से सिया है ये ज़िंदगी
मैं उसको भूल जाने की कैसे दुआ करूँ
सिया सचदेव

हौसले जब भी दिल में पलते हैं

हौसले जब भी दिल में पलते हैं
कुछ नए रास्ते निकलते हैं
तंज ख़ुद ही कर लिया जाए
आइये ज़ाएका बदलते हैं
आँधियाँ जो दिए जलाती है
वो दिए ज़ुल्मतों को खलते हैं
वो ही हैं कामयाब दुनिया में
वक़्त के साथ जो बदलते हैं
मेरे बच्चे ज़हीन हैं इतने
ये खिलौनों से कब बहलते हैं
अब ये दुनिया फरेब लगती है
आज कल घर से कम निकलते हैं
ऐसे रिश्तों को क्या सहेजे हम
जो बुरे वक़्त पे बदलते हैं
आईना देखकर हो क्यूँ हैराँ
एक दिन रूप रंग ढलते हैं
घर से निकले तो बस यहीं सोचा
हादसे साथ साथ चलते हैं
चापलूसों की जिंदगी मत पूछ
भीख की रोटियों पे पलते हैं
क्यूँ हैं इंसान में हसद इतनी
लेके नफरत क्यूँ दिल में जलते हैं
Siya Sachdev