जय मात, वीणा वादिनी, उद्धार कर
हूँ शरण तेरी अब तू , अंगीकार कर
तू बुद्धि, ज्ञान प्रदायनी माँ शारदे
सबके हृदय में ज्ञान का विस्तार कर
दीपक जलें मन में, अटल विश्वास के
जगतारिणी भव से हमें भी पार कर
हम सत्य, सयंम, त्याग का जीवन चुने
मन में दया और प्रेम का संचार कर
हम स्वाभिमानी बन जियें सम्मान से
इस याचना को माँ मेरी स्वीकार कर
हो हर हृदय में भावना अनुराग की
माँ शारदे करुणामयी संसार कर
तम से हमारे पथ कभी कलुषित न हो
सबके हृदय आलोक का भंडार भर
इस कंठ से सरिता बहे संगीत की
वीणा से तू ऐसी ज़रा झंकार कर