सुकूँ से जीने का फिर इंतज़ाम करना है
जो दिल दुखाये वो किस्सा तमाम करना है
लगा रहे हैं जो दुनिया में आग नफरत की
हमें तो उनका ही जीना हराम करना है
जो नफ़रतों की फ़ज़ाओं में साँस लेते हैं
मोहब्बतों का उन्हें भी गुलाम करना है
जो फूट डालना चाहेंगे भाईचारे में
उन्हें तो दूर से राम राम करना हैं
बहुत से लोग जिन्हें दोस्ती के परदे में
हमारे ख़्वाब हमी पर हराम करना है
जो अम्नो चैन का पैग़ाम दे ज़माने को
हमेशा उनका हमें एहतराम करना है
हमें सभी से रवादारियां निभाते हुए
हर एक शख्स को झुक कर सलाम करना है