Saturday 12 December 2015

punajabi ghazal

वेख तेरी धी रूल गयी माई 
किस वैरी नाल प्रीत लगाई 

जिसनू अपना रब मन बैठी 
ओस कलेजे सट्ट मेरे लाई 

ओस बेक़द्री  उत्ते डुल गईं 
मैं ता अपनी क़दर गवांई

हट्ट दफ़ा हो जा नज़रा तो
कह के टुर गया ओ हरजाई

किसनू आखा दुखड़े दिल दे
कौन समझदा पीड़ पराई  

जींदे जी गल मौत नू लाया 
अपने गाल विच फाई पायी 

vekh teri dhee rul gayi maayi  
kis vairi naal preet lagaayi  

jisnu apna rab manya si  
os kaleje sat mere laayi  

os beqadri utte dul gayi 
aape  apni qadr gavayi  
       
hatt dafa ho ja nazra to  
kah ke tur gaya o harjayi  

kisnu aakhan dukhde dil se  
kaun samjhda peed paraayi  
   
jeende je gal maut nu laaya 
apne gal vich phaee paayi

टुर जाय ते माँ नैओ लबदी
हुन ममता दी छा नैओ लबदी
कल्या बैठे रो लैन्दे हान
कित्थे जाईयें था नैओ लबदी
tur jaye te maa nayio laddi
hun mamta di chaa nayio labdi
kalya baithe ro lainde haan
kitthe jaiyen thaa nayio labdi
siya
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आज दिल मेरा भर भर आया 
 एस जग तो दस की  मैं पाया 
माँ पयो टुर गए छड के कल्या 
 हीरे वरगा वीर गँवाया 

aaj  dil mera bhar bhar aaya 
ais duniya to ki main paya 
maa pyo tur si bachpan vich 
hun heere jaa  veer ganvaya 



punjabi ghazal

अपना होया आज पराया की होया
दिल नू अपने मैं समझाया की होया
तेरे होंदे वी ता कल्या जीँदी सी
जे तू हुन वी नाल नई आया की होया
वेख के जिसनू रूह मेरी खिड जांदी सी
आज ओने वी रूप वटाया की होया
जेड़ा वादा कीता सी तू मेरे नाल
जा के ग़ैरा नाल निभाया की होया
खबरेँ की होया ये दिल मर जाने नू
मैनु सारी रात जगाया की होया
ओस दीया दर्द सौगाता साम्भ के रखिया ने
दुःख ओस मेरी झोली पाया की होया
पीड़ा देवन वाला मेरा अपना सी
जे जिन्दड़ी ने धोखा खाया की होया

ਆਪਣਾ ਹੋਇਆ ਅਜੇ ਪਰਾਯਾ, ਕੀ ਹੋਇਆ,
ਦਿਲ ਨੂ ਅਪਨੇ ਮੈਂ ਸਮਝਾਯਾ , ਕੀ ਹੋਇਆ
ਤੇਰੇ ਹੋਂਦੇ ਤਾਂ ਵੀ ਕਾਲੀਆਂ ਜੀਂਦੀ ਸੀ,
ਜੈ ਤੂੰ ਹੁਣ ਵੀ ਨਾਲ ਨਹੀਂ ਆਇਆ,ਕੀ ਹੋਇਆ,
ਦੇਖ ਕੇ ਜਿਸ ਨੂ ਰੂਹ ਮੇਰੀ ਕਹਿਰ ਜਾਂਦੀ ਸੀ
ਅਜੇ ਓਹਨੇ ਵੀ ਰੂਪ ਵਟਾਇਆ,ਕੀ ਹੋਇਆ,
ਜੇਹਰਾ ਵਾਦਾ ਕੀਤਾ ਸੀ ਤੂੰ ਮੇਰੇ ਨਾਲ
ਜਾ ਕੇ ਗੈਰਾਂ ਨਾਲ ਨਿਭਾਯਾ , ਕੀ ਹੋਇਆ,
ਖਬਰੇ ਕੀ ਹੋਇਆ ਦਿਲ ਮਾਰ ਜਾਨੇ ਨੂ
ਮੈਨੂ ਸਾਰੀ ਰਾਤ ਜਗਾਯਾ, ਕੀ ਹੋਇਆ,
ਉਸ ਦਿਯਾ ਦਰਦ ਸੋਗਾਤਾਂ ਸਾੰਭ ਕੇ ਰਖਿਯਾਂ ਨੇ
ਦੁਖ ਉਸ ਮੇਰੀ ਝੋਲੀ ਪਾਇਆ , ਕੀ ਹੋਇਆ
,
ਪੀਰਾ ਦੇਵਨ ਵਾਲਾ ਮੇਰਾ ਆਪਣਾ ਸੀ
ਜੇ ਜਿੰਦਰੀ ਨੇ ਧੋਖਾ ਖਯਾ, ਕੀ ਹੋਇਆ
ਸਿਯਾ ਸਚਦੇਵ
apna hoya aaj paraya ki hoya
dil nu apne main samjhaya ki hoya
tere honde vi ta kalya jeendi si
je tu hun vi naal n aaya ki hoya
vekh ke jisnu rooh meri khid jandi si
aaj one vi roop vataya ki hoya
jeda wada kita si tu mere naal
jake ghaira naal nibhaya ki hoya
khbre ki hoya ye dil mar jaane nu
mainu saari raat jagaya ki hoya
os diya dard saugata sambh ke rakhiya ne
dukh os meri jholi paya ki hoya
pida.n devan wala mera apna si
je jind'di ne dhoka khaya ki hoya
siya
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सजना मेरी जिंद नरोल 
ऐवे पैरां विच न रोल 

तू वी दिल दे वरके खोल 

मेरा  दिल वी कदी फरोल 

आके दुःख वंडा जा मेरा 
पल दो पल ते बैजा  कोल  

तेरी चुप नाल रुक दिया सावां 
अपने मुँहो कुज ता बोल 

जद रुसदा ये मेरा माही -
दिल विच मेरे पैंदे होल 

मेरा दिल दा वेडा सूंझा 
कद आवेंगा मेरे कॉल 

ਸਜਨਾ ਮੇਰੀ ਜਿੰਦ ਨਰੋਲ
ਅਏਵੇਂ ਪੈਰਾਂ ਵਿਚ ਨ ਰੋਲ
ਤੂ ਵੀ ਦਿਲ ਦੀ ਵਰਕੇ ਖੋਲ
ਮੇਰਾ ਦਿਲ ਵੀ ਕਾਦੀ ਫ਼ਾਰੋਲ
ਤੇਰੀ ਚੁਪ ਨਾਲ ਰੁਕਦਿਆਂ ਸਾਵਾਂ
ਆਪਣੇ ਮੂਹੋਂ ਕੁਜ ਤਾਂ ਬੋਲ
ਜਦ ਰੁਸਦਾ ਹੈ ਮੇਰਾ ਮਾਹੀ
ਦਿਲ ਵਿਚ ਮੇਰੇ ਪੈਂਦਾ ਹੌਲ
ਮੇਰਾ ਦਿਲ ਦਾ ਵੇੜਾ ਸੁੰਝਾ
ਕਦ ਆਵੇਂਗਾ ਮੇਰੇ ਕੋਲ।

ਸਿਯਾ ਸਚਦੇਵ
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punjabi ghazal

सजना मेरी जिंद नरोल 
ऐवे पैरां विच न रोल 

तू वी दिल दे वरके खोल 
मेरा  दिल वी कदी फरोल 

आके दुःख वंडा जा tu 
पल दो पल ते बैजा  कोल  

तेरी चुप नाल रुक दे साँ 
अपने मुँहो कुज ता बोल 

 माही जद वी रुसदा ये 
दिल विच मेरे पैंदे होल 

ख़ाली दिल दा वेडा वेख 
कद आवेंगा मेरे कॉल 

नज़्म -----दर्द साँसो के साथ चलता है



तुमको सच्ची ये बात समझाती 
दर्द कुछ कम तुम्हारा कर पाती 
इस जहाँ में सभी परेशां हैं
सबके जीवन में ग़म के तूफां हैं 
लोग दुनिया में कैसे जीते है
 ग़म निगलते है अश्क पीते हैं 
दर्द साँसो के साथ चलता है 
ग़म का मौसम कहा बदलता है 
ग़म ज़रूरी है दिल को समझाओ 
भूल कर खुद को मेरे हो जाओ 


tumko sachi ye baat samjhati dard kuch kam dilo se kar paati is jahaN me sabhi pareshaN haiN sab ke jeewan me gham ke tufaN haiN log dunia me kaise jeete hain 
gham nigalte haiN ashk peete haiN dard sansoN ke sath chalta hai gham ka mausam kahan badalta hai gham zaruri haiN dil ko samjhao bhul kar khud ko mere ho jao siya

एक नज़्म --- सिर्फ़ तुम्ही ग़मगीन नहीं हो

काश मैं ऐसा कुछ कर पाती
दर्द तुम्हारे कम कर पाती
सिर्फ़ तुम्ही ग़मगीन नहीं हो
काश तुम्हें ये समझा पाती

और भी हैं दुनिया में परेशाँ
जिनके साथ हैं ग़म के तूफ़ाँ
तुम ही नहीं हो दर्द के मारे
यहाँ दुखी हैं सारे इन्सां

हर दिल में ग़म छुपा हुआ है
जिसको देखो दुखा हुआ है
दुनिया भर के बोझ हैं सर पर
हर इक चेहरा बुझा हुआ है

मर मर के यूँ जीना कब तक
ज़ह्र के प्याले पीना कब तक
नया हौसला लेकर उठ्ठो
यूँ पीटोगे सीना कब तक

तुम तो टूट गए हो ऐसे
कोई खिलौना टूटे जैसे
तुम पर औरों का भी हक़ है
हार गए तुम जीवन कैसे

kash main aisa kuch kar pati
dard tumhara kam kar paati
sirf tumhi ghamgeen nahi ho
kash tumhe ye samjha paati

aur bhi hain duniya me pareshan
sahte hain jo gham ke tufaan
tumhi nahi ho dard ke maare
yahan dukhi hai har ik insaaN

har dil men gham chupa hua hai
jisko dekho dukha hua hai
duniya bhar ke bojh hai sar par
har ik chehra bujha hua hai

mar mar yun jeena kab tak
zehr ke pyaale peena kab tak
naya hausla lekar uttho
yun peetoge seena kab tak

toot gaye ho tum to aise
koyi khilona toote jaise
tum par bhi haq hai auro ka
haar gaye jeevan se kaise

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सिया

mahiya ---

तेरे इश्क़ दा तोड़ नयी
मेरा यार सलामत रये
मैनु दुनिया दी लोड़ नयी

tere ishq sa tod nahi
mera yaar salamat raye
mainu duniya di lod nayi
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रोई ग़म न किसे नु दस के
पीठ पिछे ओही लोगी
गल्ला कर दे ने हंस हंस के

royi gham n kise nu das ke
peeth picche ohi logi
galla karde ne hans hans ke
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आज आँख भर आयी नी
ग़ैरा वस् पै गयी ये
माँ आज तेरी जायी नी

aaj aankh bhar aayi ni
vass ghaira de pai gayi ye
maa aaj teri zaayi ni
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मेरे रब तो ए आस करां
दुःख तैनू छू न सके
धीये एही अरदास करां
mere rab to aye aaskara'N
dukha tainu chhu na sake
dheeye ehi ardaas kara'N
siya

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कुज खा के मैं मर जावां
नित नवें ग़म मिलदे
ऐस दुनिया तो टुर जावां

kuj kha ke main mar jaava
nit nave gham milde
ais duniya to tur jaavan
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औखी निभनी यारी वे
ओस वीं न क़दर पायी
ज़िंद जिदे उत्ते वारी
aukhi nibhni yaari ve
oss vi na qadar paayi
jind jide utto vaari ve
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आज एहो इक काज करां
कल्ली बैके कानू रोंवां
झल्ले दिल दा इलाज करां

aaj aeho ik kaaj kara
kalli baike kaanu rovan
jhalle dil daa ilaaj kara

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किते चित नयी लगदा वे
मिट्ठी मिट्ठी गल्ला करके
माही नित मैंनु ठगदा वे

kithe chit nayiyon lagda ve
mitthi mitthi galla karke
maahi nit mainu thagda ve
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साडे दुःख विच रोँदे ने
ओहि चन्ना काम आने
जेडे वाक़फ़ होंदे ने
saade dukh vich ronde ne
ohi chnna kaam aane
jede wakaf honde ne
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सानू कलपदा छोड़ गया
नित अथरू पिरोन अखियाँ
तेरा दुःख वीरे तोड़ गया
saanu kalpada chhod gaya
nit aathru piron aakhiyan
veere dukh tera tod gaya
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तेरे इश्क़ दा  तोड़ नयी 
मेरा  यार सलामत रये 
मैनु दुनिया दी लोड़ नयी 
तेरे इश्क़ दा  तोड़ नयी 
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रोई ग़म न किसे नु दस के 
पीठ पिछे ओही लोगी 
गल्ला कर दे ने  हंस हंस के 
रोई ग़म न किसे नु दस के
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आज आँख भर आयी नी 
ग़ैरा वस् पै गयी ये 
माँ आज तेरी जायी नी 
आज आँख भर आयी नी 
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हर घडी हर साँस करा 
दुःख तैनू छू न सके  
धीये एही  अरदास करां
हर घडी हर साँस करा 
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कुज खा के मैं मर जावां 
नित नवें ग़म मिलदे 
ऐस दुनिया तो टुर जावां 
कुज खा के मैं मर जावां 
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औखी निभनी यारी वे 
ओस वीं न क़दर पायी 
ज़िंद जिदे उत्ते वारी  
औखी निभनी यारी वे 
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 आज एहो इक काज करां 
कल्ली बैके कानू रोंवां 
झल्ले दिल दा इलाज करां
 आज एहो  काज करां 
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किते चित नयी लगदा वे 
मिट्ठी मिट्ठी गल्ला करके 
माही नित मैंनु ठगदा वे 
किते चित नयी लगदा वे 
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साडे दुःख विच रोँदे ने 
ओहि चन्ना  काम आने 
जेडे वाक़फ़ होंदे ने 
साडे दुःख विच रोँदे ने 
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सानू कलपदा   छोड़ गया 
नित अथरू पिरोन अखियाँ 
 तेरा दुःख वीरे तोड़ गया 

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वक़्त गंवाए तू दिन राती
साहब लेखे आसी सब कुछ
जद आनी या मौत हयाती
वेखी अंदर मार के झाती
ओह सावां दे विच इंज वस्दा
जीवे दीवे दे संग बाती
وقت گنواویں تو دن راتی
صاحب لیکھے آسی سب کج
جد آنی اے موت،حیاتی
دیکھیں اندر مار کے جھاتی
اوہ ساہواں دے وچ انج وسدا
جیویں دیوے دے سنگ باتی
سیا سچ دیو


धूप में भी महफ़ूज़ हो शबनम

धूप में भी महफ़ूज़ हो शबनम
कब आएगा ऐसा मौसम

मेरे दिल के इक कोने में 
तन्हाई रहती है हर दम

जिसको फ़िक्र नहीं कुछ मेरी 
उसकी परवा करते है हम 

गहरा ज़ख्म भी भर जाता है 
वक़्त बड़ा है सबसे मरहम

देखा जो खुशहाल किसी को 
दुनिया हो जाती है बरहम

 अब तो सूख चुकी हैं आँखे
और करे हम कितना मातम

ढेर सी ज़िम्मेदारी सर पर
काम ज़ियादा वक़्त बहुत कम

सोच अलग है फ़िक्र अलग है 


कभी न मिल पाएंगे हम तुम 

gurunanak ji par kahe doohe

तृप्ता कालू राय की ऐसी ये सन्तान।
करने आये थे यहां ,इस जग का कल्याण।
मैं बाबा मूरख रही ,कैसे करूँ बखान।
तेरी महिमा का बयाँ ,कैसे करे ज़बान।
नारी का तुमने कहा ,सदा करो सम्मान।
सो क्यों मन्दा आखिये ,जिस जम्मे राजान।
वर्ण भेद या ज़ात पर ,क्यों करता अभिमान।
मानस अपने कर्म से ,होता सदा महान।
कल युग में तुमने किया ,गुरुनानक कल्याण।
सबको तुम देते रहे ,सत मारग का ज्ञान।
कर्म कांड पाखण्ड से ,दूर रहो नादान।
तरना है सन्सार ते। गाओ प्रभु के गान।
सबका मालिक एक है ,सब उसकी सन्तान।
नानक की वाणी यही ,सब हैं एक समान।...

कोई मुझसे गुज़ारिश मत करो तुम

कोई मुझसे गुज़ारिश मत करो तुम 
मुझे पाने की ख़्वाहिश मत करो तुम 

तुम्हारे दिल में क्या है जानती हूँ 
मोहब्बत की नुमाईश मत करो तुम

नतीजे पर बहुत अफ़सोस होगा 
वफ़ा की  आज़माइश़ मत करो तुम 

बिछड़ना ही जब अंजाम अपना 
क़रीब आने की कोशिश मत करो तुम 

मैं इक मुद्दत से भूली मुस्कुराना 
नयी इक और साज़िश मत करो तुम 

बढूँगी क़ाबलियत से ही अपनी 
मेरी झूठी  सिफ़ारिश मत करो तुम 

मेरी खुद्दारियों पर आँच आये 
कोई ऐसी नवाज़िश़ मत करो तुम  

हालात देख कर मेरी तहरीर देख कर

हालात देख कर मेरी  तहरीर देख कर 
रोने लगे वो दर्द की तफ़्सीर देख कर 

ए काश तुझ में इतना समां जाऊं के हर इक 
पहचानता  मुझे तेरी  तस्वीर देख कर 

उठती है आँख बारहा  देहलीज़ की तरफ 
अटका हुआ हैं दम तेरी ताख़ीर  देख कर 

ख्वाबो से दिल को होती थी तस्कीन जिस क़दर 
उतना ही डर गयी हूँ मैं ताबीर देख कर 

रहती हैं जिनकी दोस्तो  तदबीर  पर निगाह 
चलते नहीं हैं वो कभी तक़दीर देख कर 

मुझको बदलते वक़त का एहसास हो गया 
हैरान हूँ मैं अपनी ही तस्वीर देख कर 

जो उम्र मेरी खास थी ख्वाबों में कट गयी 
करना भी क्या है अब मुझे ताबीर देख कर

मंज़िल तो सामने है मगर क्या करें  सिया 
बैठे हुए हैं  पांव की ज़ंजीर देख कर 

sham e gham ki sahar n ho jaaye


शाम ए  ग़म की सहर न हो जाए
ज़िंदगी मुख़्तसर न हो जाए 

 देख उनको खबर न हो जाए 
फ़िर  बला मेरे सर न हो जाये

बाज़ आ मेरा दिल दुखाने से 
तेरा  बर्बाद घर न हो जाए 

हो न मंज़िल मुझे कभी हासिल 
ख़त्म मेरा सफर न हो जाए 

छोड़ कर चल दिए हो तुम जिसको 
वो कहीं  दर बदर न हो जाय

इस क़दर मत कुरेद माज़ी को 
ज़ख्म दिल का शरर न हो जाए 

इस क़दर पेश पेश मत रहना 
दुनिया ज़ेर  ओ ज़बर न हो जाए 

उसकी नज़रों से बच रही हूँ मैं 
 जादुओं का असर न हो जाए 

ए सिया मत गुज़र दो राहे  से 
फिर जुदा हमसफ़र न हो जाए 

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ghazal ...umr se chahe koyi kitna bada

उम्र से चाहे कोई कितना बड़ा होता है
तिफ़्ल ए मासूम हर एक दिल में छुपा होता है

हँसते चेहरे लिए फिरते हैं मेरे शहर के लोग
लेकिन इक ज़ख्म हर इक दिल में दबा होता है

मैंने चेहरे से हर अहसास मिटा डाला मगर
फिर भी आँखों से अयाँ दर्द मेरा होता है

तंज़ के तीर चलाने में हैं माहिर अहबाब
वार कैसे हो उन्हें खूब पता होता है

माँ पे क़ुर्बान भी होकर मैं रहूंगी मक़रूज़
इससे ममता का कहाँ क़र्ज़ अदा होता है

सिर्फ इस बात से बरहम है ज़माना ए सिया
अपना अंदाज़ ज़माने से जुदा होता है

Umr se chaahe koi kitna bada hota hai.
Tifl-e-m'asoom har ek dil me'n chhupa hota hai.

Hanste chehre liye phirte hai'n mere shahr ke log
Lekin ek zakhm har ek dil me'n daba hota hai.

Maine chehre se har ahsaas mita daala magar
phir bhi aankho'n se ayaa'n dard mera hota hai.

tanz ke teer chalane me'n hain maahir ahbaab
Waar kaise ho unhe'n khoob pata hota hai.

Nazr jaa'n karke bhi maqrooz rahoongi mai'n Siya
Isse mamta ka kahaa'n qarz adaa hota hai.

sirf is baat se barham hai zamana aye siya
apna andaz zamane se juda hota hai




punjabi ghazal

बापू वीरा ते माँ प्यारी
सारे टुर गए वारी वारी

रब दा भाना मनना पैंदा
दिल ते रख के पत्थर भारी

दिल न होर दुखाओ साडा
अग्गे घट हां दुःखा दी मारी

सह सह के दिल हो गया होला
हुन मैं हारी, हुन मैं हारी

ऐस दुनिया विच जी नईयों लगदा
कद आनी ये साडी वारी

baapu veera te ma apyarai
saare tur gaye waari waari

rab da bhana manna painda
dil te rakh ke paathar bhari

dil n hor dukhao saada
agge ghat haan dukh di maari

sah sah ke dil ho gaya hola
hun main haari hun main haari

ais duniya vich jee naiyon lagda
kad aani ye saadi waari

ghazal

गए वो दिन कहाँ जब ख़्वाब आँखों को सताते थे
जुदाई के तसव्वुर से ही रोने बैठ जाते थे

नज़र अंदाज़ करने का सबब क्या है बता भी दो
वही हूँ मैं जिसे दुनिया से तुम बेहतर बताते थे

बिखर जाती थी कमरे में तुम्हारी याद ख़ुशबू सी
तुम्हें लिखने को खत जब हम क़लम काग़ज़ उठाते थे

तुम्हारे अनकहे जज़्बे छुपे रहते थे आँखों में
नज़र मिलते ही उस अहसास को हम जान जाते थे

नए दिन की मुसाफ़त जब मुझे आवाज़ देती थी
सहर होते ही बोसा देके तुम मुझको जगाते थे

मुझे छू कर वो जब देहलीज़ घर की पार करता था
दुआ के लफ्ज़ मेरे काँपते होठों पे आते थे

Gaye wo din kaha'n jab khwaab aankho'n me sajaate the
Judai ke tasavvur se hi rone baith jaate the.

nazar andaaz karne ka sabab kya hai bata bhi do
wohi hoon main jise duniya se tum behtar batate the

Bikhar jaati thi kamre me'n tumhaari yaad ki khushboo
Tumhe'n likhne ko khat jab ham qalam kaaghaz uthaate the

Tumhare ankahe jazbe chhupe rahte the aankho'n me'n
Nazar milte hi us ahsaas ko ham jaan jaate the.

naye din ki musaafat jab mujhe aawaz deti thi
sahar hote hi bosa deke tum mujhko jagate the

Mujhe chhoo kar wo jab dahleez ghar ki paar karta tha
Du"a ke lafz mere kaanpte honto'n pe aate the.

Siya bhooli nahi wo betakalluf sa lab-o-lahja
Mujhe wo pyaar se jis waqt too kahkar bulaate the.